इन ख़ामोशियों मे घुटने लगा है,

तेरी आंखों का गुस्सा छुपने लगा है,

तेरा चिल्लाना, फिर रूठ जाना, और फिर मुझको सुनाना,

तेरी नकली हंसी मे छुपने लगा है |

 

तू तोड़ दे जंजीर ये, तोड़ सारी चुप्पी,

तेरा गुस्सा मुझे खलने लगा है,

क्या करूं, ईन ख़ामोशियों मे,

दम मेरा घुटने लगा है |

 

तू चुप क्यूँ है, तू बोल ले,

सब्र का बांद अपना खोल ले,

मार ले, तू चीख ले, हक तेरा है मुझपर, ये तू जान ले |

 

तू चुप क्यूँ है, तू बोल ले,

तेरा गुस्सा मुझे खलने लगा है, 

दम मेरा घुटने लगा है |

By Fiddler